Swarnim (सानो प्रयास )
Saturday, May 24, 2014
बिर्सन कहाँ सके
बिर्सन कहाँ सके
न त अपनाउननै सके तिमीलाई नत बिर्सननै सके
केबल सम्झी तिमीलाई तड्पन मात्र सिके
तिम्रा निमित्त लेखिएका कथा सबै खरानी झै उडाइदिये
उफ्फ दुर्भाग्य, मन भित्र हाबी तिमीलाई बिर्सन कहाँ सके
आसुँ
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment